कुछ तस्वीरें शब्दों की मोहताज नहीं होती है। अक्सर लोगों से सुना है मैंने कि बोलने या लिखने वालों को हमेशा शब्द कम पड़ जाते हैं। लेकिन एक गूँगा शबीह बहुत कुछ बयां कर देता है। वो कुछ बोला नहीं करता पर बोलने की ताकत जरूर रखता है ।
आज जिस मुक़ाम पर हूँ बहुत कुछ सीखने को बाक़ी है,क्योंकि आज कुछ भी नहीं हूँ। फ़िर भी उम्मीदों का एक कारवाँ है जो मुझे अपने साथ लिए फिरता है। इस कशमकश जहाँ में उम्र का हरेक पड़ाव कुछ ना कुछ रोज बतलाने की चाहत रखता है। मगर मेरे शब्दों से शिकायत भी तो उन्हीं चंद पंक्तियों को है जिनसे मेरी कविता है। ये इश्क का फ़ितूर है कि ज़माने का दस्तूर है,कि दस्तक तो हर किसी किरदार के चौखट पर दी ही जाती है। मगर यही खूबसूरती है ,जो मलाल होकर भी किस्से को ख़त्म करने की क्षमता रखते हैं।
अपने सफ़र में जितने किस्सों को बटोरा है, उनमें ये एक नायाब लम्हा था। बेतरतीब तरीके से ली गयी ये तस्वीर मुझे मेरे बीते वर्ष और आने वाले वर्ष के बीच दिखाने की कोशिश कर रहा था जिसे अगर कैद ना किया गया होता तो शायद आज मैं यह लेख नहीं लिख रहा होता।य़ह तस्वीर ब्लैक एंड व्हाइट सेड में ली गयी थी। जिसमें किसी घर का एक बरामदा है जिसके एक कोने से अटक कर एक व्यक्ति अखबार पढ़ रहा है। मैं जब इसके सामने से गुजरा तो कई तस्वीरों की भांति इस पर भी मेरे मन में य़ह सवाल आया कि आख़िर इसके क्या पहलु हैं जिसे , इस आम सी घटना को किसी ने अपने कैमरे की लेंस में कैद करने की सोची और यही आम सी दिखने वाली तस्वीर उसकी उपलब्धियों का परिणाम बन गया। इन सवालों का आना तो लाज़मी था मगर जो जबाब मुझे मिला,उससे मैं सकते मे रह गया। आज इस रंगीन दुनियाँ में भी कुछ चीजें बहुत अहमियत रखती है जिसे हम आधुनिकीकरण के ओट में छिपा दिया करते हैं।
ख़ैर ऐसा पहली बार नहीं था मगर ये आख़री नहीं हो ऐसी उम्मीद तो किया ही जा सकता है। जिसका एक मात्र कारण यह है कि इनसे जुड़ कर कुछ ना कुछ सीखने को जरूर मिलता जो मेरे किरदार को प्रभावित करती है। और यह इसलिए नहीं है कि अभी मैंने पत्रकारिता को चुना है बल्कि अपने स्कूल के दिनों से ही मेरी रूचि इस तरह की किस्सों में रहीं हैं। और यही वज़ह है कि ऐसी चीजे मेरी जिंदगी से इत्तेफाक रखती है। इस छायाचित्र को किसी ने अपने फोन में कैद कर लिया, जिसे देखने के बाद य़ह सवाल की उस तस्वीर को कैद क्यों की गयी कोई मायने नहीं रखता। क्योंकि वो लम्हें वापस नहीं आते जो गूजर जाते हैं।
शायद ,जिंदगी भी कुछ यूँ ही तो होती है। जिन पलों के लिए हम अपने लम्हों का इंतजार करते हैं महज कुछ पलों में खत्म हो जाती और फ़िर इंतजार रह जाता...
😐😐😐
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