फिल्म; एनिमल
कलाकार; रणबीर कपूर , रश्मिका मंदाना , बॉबी देओल, सुरेश ओबेरॉय , शक्ति कपूर और अनिल कपूर
लेखक; संदीप रेड्डी वंगा , प्रणय रेड्डी वंगा और सौरभ गुप्ता
निर्देशक संदीप रेड्डी वंगा
निर्माता; भूषण कुमार , मुराद खेतानी , कृष्ण कुमार और प्रणय रेड्डी वंगा
रेटिंग; 2.3 /5
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अगर कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाय तो, नए दौर का सिनेमा किस्सों का नहीं है। किरदारों का है, टेकनोलॉजी का है, घिसी पिटी कहानी का है, और अंत में प्रमोशन का है। जिसके सहारे बार बार यह साबित किया जाता है कि ये नही देखा तो क्या देखा? और पूरे पैसे वसुल के नाम पर अंत में मिलता है पॉपकॉर्न वो भी बाजार के तुलना में तिगूने- चौगूने कीमतों पर। जिसका नतिजा है कि आज बढ़ियां सिनेमा और बेहतर दर्शकों दोनों एक दुसरे को ढुंढते फिर रहें। खैर ये तो हुई सीनेमा की बात जिसके कई पहलु है,और किसी एक के आधार पर दुसरे की तुलना करना सही नही होगा।
पारिवारिक ड्रामा पर आधीरत एक्शन थ्रिलर फिल्म एनिमल अपने दर्शकों को पुरे 3 घंटे यह सोचने पर मजबुर करता है कि सिनेमा देखना इतना भी दुष्कर नहीं होना चाहिए। अगर आप फिल्म यूं ही देख लेते है तो इस फिल्म को देखने की कई वजहें हैं लेकिन अगर फिल्म देखने का कोई खास मकसद है तो रूक जाएं। यह आपके समय और आर्थीक सेहत के लिए फाय़देमंद होगी।
एनिमल की कहानी एक ऐसे लड़के के बारे में है जो अपने पिता के प्रेम का भूखा है, जो प्रेम उसे एनिमल बना देता है। जैसा कि आज के अधिकांश फिल्में बताती है रियलिज़्म नाम की कोई चीज नहीं होती यह फिल्म उसी पटकथा को बार बार साबित करती है। बचपन से ही पिता के वक्त और प्यार को तरसता उस लड़के की कोशिस है कि वो अपने पिता को बेटे के प्रेम की वो कमी नहीं होने देगा जिसकी कमी उसने बार बार महसूस किया है। अपने प्यार को साबित करने के लिए वो हिंसा, सनकी प्रेम, स्त्रीविरोध, और महिमामंडन आदि करता है। इस फिल्म की मूल कहानी है।
एक्टर्स ने शानदार एक्टिंग की है। निर्देशक ने शानदार निर्देशन किया है, और म्यूजिक का तड़का तो है ही। इसके साथ साथ फिल्म आपको उन किरदारों से भी जोड़ती है जो जिसे आपने एक लंबे स्क्रीनटाइम में देखा, लेकिन इस फिल्म में उन्हे ज्यादा वक्त नहीं मिला। फिर भी उनका अभिनय आपको खिचती है। रणबीर कपूर को छोड़ दे तो बमुश्किल उनके दो-तीन सीन्स के आधार पर ही आपको यह तय करनी है कि उन्होंने अच्छी एक्टिंग की है। रही बात रणबीर कपूर कि तो उन्होंने खुद को अलग तरीके से पेश किया है। जिसको लेकर आपको ज्यादा सोचना नहीं पड़ेगा क्योंकि उनके अभिनय की एक झलक फिल्म संजु में देखी जा चुकी है। बॉबी देवल को लेकर जो उम्मीद फिल्म के टेलर ने जगाई थी उसके अनुसार फिल्म में उनका स्क्रीनटाइम दर्शकों को निराश जरूर करता है लेकिन उनके अभिनय के उन्हे पूरे अंक मिलते है। रही बात कहानी की तो संदीप रेड्डी वांगा को जो दिखाना था, जो कहना था, या यह कहे कि जिस तरह का वार्तालाप हम देखते है, करते है, और सुनते है, उसे बड़े पर्दे पर रख दिया गया है। ऐसे में सिर्फ मनोरजन कों ध्यान में रखते हुए यह फिल्म आपके तनाव को कम जरूर करता है लेकिन कहानी खत्म होते होते आपको यह निर्णय लेने का का अच्छा खासा समय भी दे रहा है जब आप यह सोचे कि कहानी के अगले भाग में क्या हुआ?
फिल्म 1 दिसम्बर को बड़े पर्दे पर रिलीज हुई है, और जल्द ही यह ओटीटी पर आएगी। बड़े पर्दे पर फिल्म देखने के लिए आपको नजदीकी सिनेमाघरों में जाना होगा मगर ओटीटी के लिए आपको अभी इंतजार करना पड़ेगा। तब तक फिल्म का ट्रेलर देखने के लिए आप नीचे दिए गए लिंक का सहारा ले सकते है।
https://www.youtube.com/watch?v=8FkLRUJj-o0
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